फिलिम के कहानी म एक परदेसिया अपन परिवार सहित छत्तीसगढ़ म आथे, इंहा आके छत्तीसगढ़िया किसान मेर गिड़गिड़ाथे नौकरी के भीख मांगथे। छत्तीसगढ़िया किसान ओकर दुःख ल देखे नई सकय, काबर कि छत्तीसगढ़िया मन सिधवा, भोला अउ दयालू रहिथेंं। ओ किसान ओ परदेसिया ल अपन घर म राख लेथे।
धीरे-धीरे ओ परदेशिया ह पूरा गांव के भोला-भाला छत्तीसगढ़िया मन के विश्वास ल जीतथे अउ ओ गांव के सरपंच बन जाथे। थोरकेच दिन म विधायक बन जाथे। अपन परदेशिया संगी मन संग मिल के ओ ह धीरे-धीरे गांव के सबो किसान मन के जमीन ल बिसा-बिसा के अपन डहर कर डारथे। जब ओ किसान ल पता चलथे की जेन ह ओ परदेशिया ल रहे-खाये बर आसरा देहे रहिस उहि ह नमक हरामी करत हे तब ओ ह परदेसिया के विरोध करथे। ओ परदेशिया ह ओ किसान के पीठ म छुरा भोंग देथे जउन वोला दुख म सहारा देहे रहिथे।
उनखरे राज चारो-मुड़ा छा जाथे, परदेशिया मन के सरकार चलेे लागथे अउ छत्तीसगढ़िया मन गुलामी अउ जी हुजूरी करेे लागथे।
ये फिलिम के जईसे छत्तीसगढ़िया मन ल अब अपन सिधवापन-भोलापन-दयाभाव ल सोच-समझ के देखाए ल परही नही त जानत तो हव सिधवा लकड़ी ह पहली कटाथे टेड़गा ल कोई नई काटे। जइसे फिलिम के कहानी हे ओसनहा छत्तीसगढ़ म होवत भी हे।
मैं तो कहत हंव के जम्मो मोर छत्तीसगढ़िया भाई बहिनी दाई ददा आपो मन एक बार जरूर जा के देखव। बोलथे न कवि जैसे देखते वैसे लिखथे अउ जनता संग जैसे घटना घटथे, डायरेक्टर ओसन्हे फिलिम बनाथे।
जय जय छत्तीसगढ़ महतारी
जय जय छत्तीसगढ़िया
– सूरज निर्मलकर
बहुत सुंदर
हमर छत्तीसगढ़